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झारखंड ही नहीं, महाराष्ट्र में भी बागियों ने बढाई BJP की टेंशन; रूठने-मनाने का तरीका भी सेम

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द फॉलोअप डेस्क
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है। इसी के साथ राज्य के 2 महत्वपूर्ण गठबंधन महायुति (BJP समर्थित) और महाविकास अघाड़ी (MVA) के लिए समस्याएं खड़ी हो गई हैं। इस विधानसभा चुनाव ये दोनों गठबंधन ऐसे उम्मीदवारों से लोहा लेंगे, जो कभी अपने हुआ करते थे। वहीं, महायुति के सामने ऐसे बागी उम्मीदवारों की लिस्ट बहुत लंबी है, जिसमें कम से कम ऐसे 80 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है। ये उम्मीदवार गठबंधन को अपनी दावेदारी से चुनौती देंगे। 

बता दें, विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 4 नवंबर तय की गई है। ऐसे में दोनों गठबंधनों के पास करीब एक सप्ताह का समय है, जिसमें वे अपने आपसी विवाद सुलझाकर बागियों को चुनावी मैदान से हटाने के लिए मनाएं।बागियों ने भरा अपने ही दल के उम्मीदवारों के खिलाफ नामांकन पर्चा
जानकारी हो, BJP के गोपाल शेट्टी जैसे बागियों ने अपने ही दल के आधिकारिक उम्मीदवार के खिलाफ नामांकन भरा है।  वहीं, NCP मंत्री छगन भुजबल के भतीजे समीर ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। हालांकि, बागियों की असल संख्या 4 नवंबर के बाद स्पष्ट हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है। 

MVA ने 288 में से 286 उम्मीदवारों के नामांकन की पुष्टि की है, जिसमें कांग्रेस से 103, शिवसेना-UBT से 96 और शरद पवार की अगुवाई वाली NCP से 87 उम्मीदवार शामिल हैं। वहीं, महायुति में 284 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र भरा है, जिसमें BJP, शिवसेना और NCP के उम्मीदवार शामिल हैं। हालांकि, महायुति की सूची से पता चलता है कि उसने 5 निर्वाचन क्षेत्रों में 2 उम्मीदवारों की घोषणा की है और 2 सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं घोषित किया है।बागियों को मनाने का सिलसिला शुरू
जानकारी हो, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में बागियों को लेकर फिलहाल दोनों गठबंधनों के नेताओं ने चिंता जताई है। उन्होंने ये माना है कि इसे हल करना जरूरी है। इसे लेकर राज्य NCP अध्यक्ष सुनील तटकरे ने सभी वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलाई है। ताकि राजनीतिक स्थिति का आकलन किया जा सके।

वहीं, मुंबई BJP प्रमुख आशीष शेलार ने महायुति की जीत का विश्वास जताया है। आशीष ने कहा है कि उम्मीदवारों का चयन पूरी तरह से मेरिट और लोगों की समस्याओं को सुलझाने की क्षमता के आधार पर किया गया है। ऐसे में ये देखना होगा कि क्या तय समय पर दोनों गठबंधन अपने बागियों को मनाने में कामयाब होते हैं या फिर नहीं।
 

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